Movie/Album: पेइंग गेस्ट (1957)
Music By: एस.डी.बर्मन
Lyrics By: मजरूह सुल्तानपुरी
Performed By: लता मंगेशकर
चाँद फिर निकला, मगर तुम न आये
जला फिर मेरा दिल, करुँ क्या मैं हाय
चाँद फिर निकला...
ये रात कहती है वो दिन गये तेरे
ये जानता है दिल के तुम नहीं मेरे
खड़ी मैं हूँ फिर भी निगाहें बिछाये
मैं क्या करूँ हाय के तुम याद आये
चाँद फिर निकला...
सुलगते सीने से धुंआ सा उठता है
लो अब चले आओ के दम घुटता हैं
जला गये तन को बहारों के साये
मैं क्या करुँ हाय के तुम याद आये
चाँद फिर निकला...
1957
,
C
,
Lata Mangeshkar
,
Majrooh Sultanpuri
,
Paying Guest
,
Romantic Songs
,
S.D.Burman
Music By: एस.डी.बर्मन
Lyrics By: मजरूह सुल्तानपुरी
Performed By: लता मंगेशकर
चाँद फिर निकला, मगर तुम न आये
जला फिर मेरा दिल, करुँ क्या मैं हाय
चाँद फिर निकला...
ये रात कहती है वो दिन गये तेरे
ये जानता है दिल के तुम नहीं मेरे
खड़ी मैं हूँ फिर भी निगाहें बिछाये
मैं क्या करूँ हाय के तुम याद आये
चाँद फिर निकला...
सुलगते सीने से धुंआ सा उठता है
लो अब चले आओ के दम घुटता हैं
जला गये तन को बहारों के साये
मैं क्या करुँ हाय के तुम याद आये
चाँद फिर निकला...
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