Movie/Album: संगम (1964)
Music By: शंकर जयकिशन
Lyrics By: शैलेन्द्र
Performed By: मुकेश, वैजंतीमाला
मेरे मन की गंगा और तेरे मन की जमुना का
बोल राधा बोल संगम होगा की नहीं
अरे बोल राधा बोल संगम होगा की नहीं
नहीं, कभी नहीं!
कितनी सदियाँ बीत गईं हैं, हाय तुझे समझाने में
मेरे जैसा धीरज वाला, है कोई और ज़माने में
दिल का बढ़ता बोझ कभी कम होगा की नहीं
बोल राधा बोल..
जा जा!
दो नदियों का मेल अगर इतना पावन कहलाता है
क्यों न जहाँ दो दिल मिलते हैं, स्वर्ग वहाँ बस जाता है
हर मौसम है प्यार का मौसम होगा की नहीं
बोल राधा बोल...
नहीं, नहीं, नहीं...
तेरी ख़ातिर मैं तड़पा ज्यूँ, जैसे धरती सावन को
राधा राधा एक रटन है साँस की आवन जावन को
पत्थर पिघले दिल तेरा नम होगा की नहीं
बोल राधा बोल...
जाओ न क्यों सताते हो!
होगा, होगा, होगा!
1964
,
M
,
Mukesh
,
Romantic Songs
,
Sangam
,
Shailendra
,
Shankar Jaikishan
Music By: शंकर जयकिशन
Lyrics By: शैलेन्द्र
Performed By: मुकेश, वैजंतीमाला
मेरे मन की गंगा और तेरे मन की जमुना का
बोल राधा बोल संगम होगा की नहीं
अरे बोल राधा बोल संगम होगा की नहीं
नहीं, कभी नहीं!
कितनी सदियाँ बीत गईं हैं, हाय तुझे समझाने में
मेरे जैसा धीरज वाला, है कोई और ज़माने में
दिल का बढ़ता बोझ कभी कम होगा की नहीं
बोल राधा बोल..
जा जा!
दो नदियों का मेल अगर इतना पावन कहलाता है
क्यों न जहाँ दो दिल मिलते हैं, स्वर्ग वहाँ बस जाता है
हर मौसम है प्यार का मौसम होगा की नहीं
बोल राधा बोल...
नहीं, नहीं, नहीं...
तेरी ख़ातिर मैं तड़पा ज्यूँ, जैसे धरती सावन को
राधा राधा एक रटन है साँस की आवन जावन को
पत्थर पिघले दिल तेरा नम होगा की नहीं
बोल राधा बोल...
जाओ न क्यों सताते हो!
होगा, होगा, होगा!
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