Movie/Album: मेरा नाम जोकर (1970)
Music By: शंकर जयकिशन
Lyrics By: शैलेन्द्र
Performed By: मन्ना डे
ए भाई, ज़रा देख के चलो
आगे ही नहीं, पीछे भी
दायें ही नहीं, बायें भी
ऊपर ही नहीं, नीचे भी
ए भाई...
तू जहाँ आया है
वो तेरा
घर नहीं, गली नहीं, गाँव नहीं
कूचा नहीं, बस्ती नहीं, रस्ता नहीं
दुनिया है
और प्यारे
दुनिया ये सरकस है
और सरकस में
बड़े को भी, छोटे को भी, खरे को भी
खोटे को भी, दुबले भी, मोटे को भी
नीचे से ऊपर को, ऊपर से नीचे को
आना-जाना पड़ता है
और रिंग मास्टर के कोड़े पर
कोड़ा जो भूख है
कोड़ा जो पैसा है
कोड़ा जो क़िस्मत है
तरह-तरह नाच के दिखाना यहाँ पड़ता है
बार-बार रोना और गाना यहाँ पड़ता है
हीरो से जोकर बन जाना पड़ता है
गिरने से डरता है क्यों, मरने से डरता है क्यों
ठोकर तू जब तक न खाएगा
पास किसी ग़म को न जब तक बुलाएगा
ज़िन्दगी है चीज़ क्या नहीं जान पायेगा
रोता हुआ आया है, रोता चला जाएगा
ए भाई ज़रा देख के...
क्या है करिश्मा, कैसा खिलवाड़ है
जानवर आदमी से ज़्यादा वफ़ादार है
खाता है कोड़ा भी, रहता है भूखा भी
फिर भी वो मालिक पे करता नहीं वार है
और इनसान ये
माल जिसका खाता है
प्यार जिस से पाता है, गीत जिस के गाता है
उसके ही सीने में भौंकता कटार है
ए भाई ज़रा देख के...
हाँ बाबू, ये सरकस है शो तीन घंटे का
पहला घंटा बचपन है
दूसरा जवानी है
तीसरा बुढ़ापा है
और उसके बाद
माँ नहीं, बाप नहीं
बेटा नहीं, बेटी नहीं
तू नहीं मैं नहीं
ये नहीं, वो नहीं
कुछ भी नहीं रहता है
रहता है जो कुछ वो
ख़ाली-ख़ाली कुर्सियाँ हैं
ख़ाली-ख़ाली तम्बू है
ख़ाली-ख़ाली घेरा है
बिना चिड़िया का बसेरा है
ना तेरा है, ना मेरा है
1970
,
A
,
Manna Dey
,
Mera Naam Joker
,
Shailendra
,
Shankar Jaikishan
Music By: शंकर जयकिशन
Lyrics By: शैलेन्द्र
Performed By: मन्ना डे
ए भाई, ज़रा देख के चलो
आगे ही नहीं, पीछे भी
दायें ही नहीं, बायें भी
ऊपर ही नहीं, नीचे भी
ए भाई...
तू जहाँ आया है
वो तेरा
घर नहीं, गली नहीं, गाँव नहीं
कूचा नहीं, बस्ती नहीं, रस्ता नहीं
दुनिया है
और प्यारे
दुनिया ये सरकस है
और सरकस में
बड़े को भी, छोटे को भी, खरे को भी
खोटे को भी, दुबले भी, मोटे को भी
नीचे से ऊपर को, ऊपर से नीचे को
आना-जाना पड़ता है
और रिंग मास्टर के कोड़े पर
कोड़ा जो भूख है
कोड़ा जो पैसा है
कोड़ा जो क़िस्मत है
तरह-तरह नाच के दिखाना यहाँ पड़ता है
बार-बार रोना और गाना यहाँ पड़ता है
हीरो से जोकर बन जाना पड़ता है
गिरने से डरता है क्यों, मरने से डरता है क्यों
ठोकर तू जब तक न खाएगा
पास किसी ग़म को न जब तक बुलाएगा
ज़िन्दगी है चीज़ क्या नहीं जान पायेगा
रोता हुआ आया है, रोता चला जाएगा
ए भाई ज़रा देख के...
क्या है करिश्मा, कैसा खिलवाड़ है
जानवर आदमी से ज़्यादा वफ़ादार है
खाता है कोड़ा भी, रहता है भूखा भी
फिर भी वो मालिक पे करता नहीं वार है
और इनसान ये
माल जिसका खाता है
प्यार जिस से पाता है, गीत जिस के गाता है
उसके ही सीने में भौंकता कटार है
ए भाई ज़रा देख के...
हाँ बाबू, ये सरकस है शो तीन घंटे का
पहला घंटा बचपन है
दूसरा जवानी है
तीसरा बुढ़ापा है
और उसके बाद
माँ नहीं, बाप नहीं
बेटा नहीं, बेटी नहीं
तू नहीं मैं नहीं
ये नहीं, वो नहीं
कुछ भी नहीं रहता है
रहता है जो कुछ वो
ख़ाली-ख़ाली कुर्सियाँ हैं
ख़ाली-ख़ाली तम्बू है
ख़ाली-ख़ाली घेरा है
बिना चिड़िया का बसेरा है
ना तेरा है, ना मेरा है
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