Movie/Album: कश्मीर की कली (1964)
Music By: ओ.पी.नैय्यर
Lyrics By: एस.एच.बिहारी
Performed By: मो.रफ़ी, आशा भोंसले
इशारों इशारों में दिल लेने वाले
बता ये हुनर तूने सीखा कहाँ से
निगाहों निगाहों में जादू चलाना
मेरी जान सीखा है तुमने जहाँ से
मेरे दिल को तुम भा गए
मेरी क्या थी इस में खता
मुझसे जिसने तड़पा दिया
यही थी वो ज़ालिम अदा
ये राँझा की बातें, ये मजनू के किस्से
अलग तो नहीं हैं मेरी दास्तां से
इशारों इशारों में दिल...
मुहब्बत जो करते हैं वो
मुहब्बत जताते नहीं
धड़कने अपने दिल की कभी
किसी को सुनाते नहीं
मज़ा क्या रहा जब की खुद कर दिया हो
मुहब्बत का इज़हार अपनी ज़ुबां से
निगाहों निगाहों में...
माना की जान-ए-जहां
लाखों में तुम एक हो
हमारी निगाहों की भी
कुछ तो मगर दाद दो
बहारों को भी नाज़ जिस फूल पर था
वही फूल हमने चुना गुलसितां से
इशारों इशारों में दिल...
1964
,
Asha Bhonsle
,
Asha Bhosle
,
I
,
Kashmir Ki Kali
,
Md.Rafi
,
O.P. Naiyyar
,
Romantic Songs
,
S.H.Bihari
Music By: ओ.पी.नैय्यर
Lyrics By: एस.एच.बिहारी
Performed By: मो.रफ़ी, आशा भोंसले
इशारों इशारों में दिल लेने वाले
बता ये हुनर तूने सीखा कहाँ से
निगाहों निगाहों में जादू चलाना
मेरी जान सीखा है तुमने जहाँ से
मेरे दिल को तुम भा गए
मेरी क्या थी इस में खता
मुझसे जिसने तड़पा दिया
यही थी वो ज़ालिम अदा
ये राँझा की बातें, ये मजनू के किस्से
अलग तो नहीं हैं मेरी दास्तां से
इशारों इशारों में दिल...
मुहब्बत जो करते हैं वो
मुहब्बत जताते नहीं
धड़कने अपने दिल की कभी
किसी को सुनाते नहीं
मज़ा क्या रहा जब की खुद कर दिया हो
मुहब्बत का इज़हार अपनी ज़ुबां से
निगाहों निगाहों में...
माना की जान-ए-जहां
लाखों में तुम एक हो
हमारी निगाहों की भी
कुछ तो मगर दाद दो
बहारों को भी नाज़ जिस फूल पर था
वही फूल हमने चुना गुलसितां से
इशारों इशारों में दिल...
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