Lyrics By: नासिर काज़मी
Performed By: गुलाम अली
दिल में इक लहर सी उठी है अभी
कोई ताज़ा हवा चली है अभी
शोर बरपा है ख़ाना-ए-दिल में
कोई दीवार सी गिरी है अभी
दिल में इक लहर सी...
कुछ तो नाज़ुक मिज़ाज हैं हम भी
और ये चोट भी नयी है अभी
दिल में इक लहर सी...
याद के बे-निशाँ जज़ीरों से
तेरी आवाज़ आ रही है अभी
दिल में इक लहर सी...
शहर की बेचिराग़ गलियों में
ज़िन्दगी तुझको ढूँढती है अभी
दिल में इक लहर सी...
आगे (गाने में नहीं है):
भरी दुनिया में जी नहीं लगता
जाने किस चीज़ की कमी है अभी
दिल में इक लहर सी...
तू शरीक-ए-सुख़न नहीं है तो क्या
हम-सुख़न तेरी ख़ामोशी है अभी
दिल में इक लहर सी...
सो गये लोग उस हवेली के
एक खिड़की मगर खुली है अभी
दिल में इक लहर सी...
तुम तो यारो अभी से उठ बैठे
शहर में रात जागती है अभी
दिल में इक लहर सी...
वक़्त अच्छा भी आयेगा 'नासिर'
ग़म न कर ज़िन्दगी पड़ी है अभी
दिल में इक लहर सी...
D
,
Ghazal
,
Ghulam Ali
,
Nasir Kazmi
Performed By: गुलाम अली
दिल में इक लहर सी उठी है अभी
कोई ताज़ा हवा चली है अभी
शोर बरपा है ख़ाना-ए-दिल में
कोई दीवार सी गिरी है अभी
दिल में इक लहर सी...
कुछ तो नाज़ुक मिज़ाज हैं हम भी
और ये चोट भी नयी है अभी
दिल में इक लहर सी...
याद के बे-निशाँ जज़ीरों से
तेरी आवाज़ आ रही है अभी
दिल में इक लहर सी...
शहर की बेचिराग़ गलियों में
ज़िन्दगी तुझको ढूँढती है अभी
दिल में इक लहर सी...
आगे (गाने में नहीं है):
भरी दुनिया में जी नहीं लगता
जाने किस चीज़ की कमी है अभी
दिल में इक लहर सी...
तू शरीक-ए-सुख़न नहीं है तो क्या
हम-सुख़न तेरी ख़ामोशी है अभी
दिल में इक लहर सी...
सो गये लोग उस हवेली के
एक खिड़की मगर खुली है अभी
दिल में इक लहर सी...
तुम तो यारो अभी से उठ बैठे
शहर में रात जागती है अभी
दिल में इक लहर सी...
वक़्त अच्छा भी आयेगा 'नासिर'
ग़म न कर ज़िन्दगी पड़ी है अभी
दिल में इक लहर सी...
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